यात्रा सतोपंथ स्वर्गारोहिणी | Yatra Satopanth Swargarohini | स्वर्ग तक सशरीर पहुँचने का द्वारबद्रीनाथ भारत के उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में एक पवित्र और प्रसिद्द तीर्थस्थल है। यह भारत के चार धाम तीर्थयात्रा में चार स्थलों में से सबसे महत्वपूर्ण है | यहीं से एक रास्ता स्वर्गारोहिणी की ओर जाता है | पाँचों पांडवों ने सर्वप्रथम स्वर्ग की ओर अपनी यात्रा की थी परन्तु स्वर्गारोहिणी तक केवल युधिष्ठिर ही जा पाए थे। रास्ते में उनके चारों भाई एवं पत्नी द्रोपदी की मृत्यु हो गई थी। यह माना जाता है की एक कुत्ते के भेस में छुपे धर्म के साथ युधिष्ठिर ने स्वर्ग की सीढ़ियां यहीं चढ़ी थी। महाभारत के इस अंश में यह भी बताया जाता है कि बिना मानवीय शरीर छोड़े यही स्वर्गरोहिणी का रास्ता है जहाँ से आप स्वर्ग जा सकते हैं। जून और अगस्त के महीने में अगर आप बद्रीनाथ आएँगे तो आपको ऐसे कई साधू संत मिलेंगे जो बद्रीनाथ से सतोपंथ और स्वर्गरोहिणी का सफर तय करते हैं। माना जाता है कि सतोपंथ झील का यह सफर असली मायने में सत्य के पथ की यात्रा है। स्वर्गरोहिणी तक की यात्रा के बारे में माना जाता है कि ये साक्षात स्वर्ग के मार्ग पर चलने के बराबर है। यहाँ आने वाले सभी हिन्दू तीर्थयात्री यह मानते हैं कि मानवीय शरीर के साथ अगर आप पूरी धरती में कहीं से भी स्वर्ग जा सकते हैं तो वो स्वर्गरोहिणी ग्लेशियर का मार्ग है। बद्रीनाथ से 4km की दूरी पर माना गाँव है। ये गाँव इस रास्ते पर पड़ने वाला आखिरी गाँव है। ये गाँव भारत-चीन की सीमा का आखरी गाँव भी है। श्रद्धलुओं के लिए रास्ते में रुकने के लिए बहुत-सी जगह हैं जैसे नाग- नागिनी मंदिर, भृगु गुफा और माता मूर्ति मंदिर जो धर्म के देवता की पत्नी को समर्पित है। अलकनंदा के साथ- साथ चलें तो इस रास्ते में आगे आता है आनंदवन। यहाँ के नज़ारेऔर दूर-दूर तक हरे पेड़ और घास के मैदान देख कर आपको एहसास हो जाएगा कि आखिर इस जगह को आनंद-वन क्यों कहा जाता है। यहाँ से थोड़ी ही दूरी पर है वसुंधरा जल प्रपात। लोग यह मानते हैं की किसी भी दोषी या पापी के सर पर वसुंधरा का पानी नहीं गिरता। इस यात्रा में आगे भोज पत्र के घने पेड़ों का जंगल आता है जिसे लक्ष्मी वन जाना जाता है । प्राचीन काल में इन भोज पत्र के पेड़ों की छाल पर ही कई ग्रन्थ लिखे गए थे। माना जाता है कि पांडवों की यात्रा के दौरान नकुल की मृत्यु लक्ष्मी वन में ही हुई थी। स्वर्गरोहिणी जाने वाले यात्री पहली रात इसी लक्ष्मी वन में रुकते हैं। लक्ष्मी वन से अगले दिन कुछ ही दूर चलकर यात्री सहस्त्रधारा पहुँचते हैं। ग्रेनाइट के एक टीले से गिरता हुआ ये झरना सचमुच मन छू लेता है। पांडवों के एक और भाई सहदेव की मृत्यु यहाँ हुई थी। इस जगह से आगे बढ़कर आस-पास के नज़ारे और भी सुन्दर हो जाते हैं। आप इस वक़्त ठीक केदारनाथ के पीछे वाली पहाड़ी पर होंगे। इस यात्रा में अगली जगह है चक्रतीर्थ गुफाएं। काफी लोग रात यहाँ बिताना भी पसंद करते हैं पर अगर आप चल सकें तो यहाँ से कुछ ही दूरी पर सतोपंथ झील है और रात वहाँ बिताना ज्यादा बेहतर होता है। सतोपंथ झील के बारे में किस्से कहानियां बहुत हैं पर ये वो जगह भी है जहाँ भीम ने अपनी अंतिम सासें ली थी। सैलानी यहाँ आकर रात को साधु संतों की झोपड़ियों में रात बिताते हैं। कुछ लोग अपने लिए गुफाएँ ढूंढ लेते हैं या टेंट बना लेते हैं। सतोपंथ झील में एक दिन बिताने के बाद आगे बढ़ कर लोग स्वर्गारोहिणी ग्लेशियर के दर्शन करने जाते हैं। इस रास्ते पर आगे चंद्र कुंड और सूर्य कुंड के दर्शन करके स्वर्गरोहिणी साफ़-साफ़ दिखता है। इस ग्लेशियर के सीढ़ीनुमा आकार को ही स्वर्ग की सात सीढ़ियां माना जाता है। हालाँकि किसी भी समय पर यहाँ कोहरे और बर्फ के कारण तीन से ज्यादा सीढ़ियां नहीं दिखती हैं। सुबह-सुबह बद्रीनाथ धाम में एक भव्य पूजा-अर्चना के बाद यहाँ से सभी साधू संत अपनी यात्रा शुरू करते हैं। 🌺🙏https://youtu.be/ZTU59z5F3ko🙏🌺 यात्रा सतोपंथ, स्वर्गारोहिणी Watch yatra of Satopanth, Swargarohini Author: Pandit Pawan Godiyal Direction: Narendra Agrawal #tseriesbhaktisagar #yatraswargarohini #yatrasatoppanthswargarohini So Watch this beautiful video & If You like, don't forget to share with others & also share your views. If You like the video don't forget to share with others & also share your views. Stay connected with us!!! ► Subscribe: http://www.youtube.com/tseriesbhakti ► Like us on Facebook: https://www.facebook.com/BhaktiSagarTseries/ ► Follow us on Twitter: https://twitter.com/tseriesbhakti

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